Freelance Falcon ~ Weird Jhola-Chhap thing ~ ज़हन

Monday, July 25, 2016

मवाली भूत (कहानी)

गिरधारी बाबा ऊपरी संकट, भूत-प्रेत-चुड़ैल भगाने में पारंगत थे। एक सुनसान रात बाबा भारी ज्वर से पीड़ित अपने आश्रम के बाहर पड़े होते हैं और कई भूत, चुड़ैल और प्रेत उन्हें घेर लेते हैं। बुखार मे तप रहे बाबा कराहते हुए कहते हैं - "चीटिंग! अब इस हालत में बदला लोगे तुम लोग?"

भूत दल के मुखिया - "ओहोहोहो...देखो बहुरानी आदर्श-उसूलों की बात कर रहीं हैं! तब ये बातें कहाँ होती हैं जब हमारा ध्यान बँटाकर हमे झाड़ू-चिमटे पेले जाते हैं? भगवान की आड़ लेकर मंत्र फूंके जाते हैं? हमारा भी तब ऐसा ही हाल होता है। खैर, हम बदला-वदला लेने नहीं आये हैं, हफ्ता लेने आये हैं।"

गिरधारी बाबा - "हफ्ता?"

मुखिया भूत - "हाँ! हमारे नाम पर इतना पैसा कमाते हो, तुम और तुम्हारे शिष्य ऐश से रहते हैं। कुछ हमारा भी बनता है ना?"

गिरधारी बाबा - "वो सब तो ठीक है पर तुम लोग पैसों का क्या करोगे? छी-छी-छी मर गए पर लालच नहीं गया..."

यह बात सुनकर भूतों ने गुस्से में गिरधारी बाबा को खाट से गिरा दिया और अच्छे से धूल-कीचड में मेरिनेट किया। 

मुखिया भूत - "आया मज़ा या और करें...वो पैसा हमे अपने जीवित सगे-संबंधियों, मित्रों की मदद के लिए चाहिए। जिन्हें बहुत ज़रुरत है सिर्फ उनतक पैसा पहुंचाना होगा। तुम्हारे यहाँ जो नए पीड़ित आएंगे उनपर लगी आत्माओं से निपटने में हम मदद करेंगे।"

गिरधारी बाबा - "अगर मैं ना कर दूँ तो..."

मुखिया भूत - "अबे! कोई अंगारों पे थोड़े ही नचवा रहें है तुझे। ज़रा सा हफ्ता ही तो मांगा है। मना करोगे तो हम तुम्हारे काम में निरंतर विघ्न-बाधा डालते रहेंगे। एक हफ्ते मे जो 25-30 केस निपटाते हो वो 5-7 रह जाएंगे। तुम्हारी ही इनकम और गुडविल कम होगी...सोच लो?"

समाप्त!
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- मोहित शर्मा ज़हन

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